प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था.
गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार ( अमृता के लिए )
चौधरी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाले चौथे गुजराती साहित्यकार हैं .
चौधरी से पहले गुजराती में यह पुरस्कार 1967 में उमा शंकर जोशी, ( निशीथ के लिए )
1985 में पन्नालाल पटेल और
वर्ष 2001 में राजेंद्र शाह को दिया गया था.